प्रिये ओमी भईया,जानकर अति प्रशांता हुई की आप की विवाह सम्बन्धी वार्ता (शायद अंतिम दौर ) चल रही है !
परन्तु खैद इस बात का है की यह शुभ समाचार आप से प्राप्त न हो-कर हमारे विश्स्वस्त सूत्रों ( देव
नही ) से प्राप्त हुआ है ! वैसे में आपको बता दू की इस समाचार से मुझे अति -प्रसंता मिली है !
ख़ैर देर -सवेर तुम भी इस श्रेणी की सदस्य बनाने के प्रयास में जी-जान से जुटे जान पड़ते हो !
यहाँ यह उल्लेख करना जरुरी है की मित्र ने सभी प्रकार के जतन करने शुरू कर दिए है ! जैसे की सोमवार का व्रत (जिसे लड़कियां अच्छे वर के लिए करती है !) , मदिरा पान न करना , गाँव के सभी सामाजिक कार्यो में
बिना आमंत्रण के भी सक्रिय भागीदारी , पुरानी संगती से दुरी बना लेना (जिनमे में मैं स्वयं भी शामिल हूँ !)
यह भी सुनाने में आया है की मित्र को इस बात का भी भ्रम हो गया है की - पूर्व में जीतनी भी विवाह वार्ता रद हुई उसका कारण यह इस 25 बरस पुरानी मित्र मंडली है !मित्र तुम्हे कैसे बताऊ यह आरोप कितना पीडादायक है !
ऐसा विचार मन में लाने से पूर्व क्या तुम्हे एक बार भी यह ख्याल नही आया की वो हम ही थे जिन्होंने रात-रात भर जाग कर तुम्हारे लिए matrimonial paper से विवाह प्रताव के लिए सूचियाँ तैयार करवाई थी ? तुम कैसे भूल सकते हो की इन्ही मित्रो ने दर्ज़नों matrimonial Sites पर तुम्हारा पंजीकरण करवाया था !
खैर,निरन्तर प्रयास की सफलता का मार्ग परास्त करता है !
कतिपेय इस बात का दुख हमेशा रहेगा की तुम अपने विवाह को लेकर कितने व्याकुल थे !
कृपया करके इस बात को को झुठला दो की तुमने विवाह के लिए घर वालो को Emotionally Black mail किया !
कह दो की यह झूठ है की रात्रि -कालीन भोजन से समय तुमने बाबु जी पास बैठे कर हौले से नही कहा की- "कुंवारा मरता लागिएँ "हमारे ज़माने में विवाह संबंधो के प्रति इतनी व्याकुलता प्रकट करना अशोभनीय माना जाता था !
गोयाकि तुम नए युग के सूत्र धारक हो और यह सब करना तुम जैसे नव युग के युवको का अनाम फैशन बन गया है !,परन्तु तुम्हे भी इस बात का सदेव स्मरण रखना चाहिए की जहाज का पंछी चाहे कितनी लम्बी उडान
भर ले पर उसे लौट कर वापस से जहाज पर आना पड़ता है !
जान पड़ता है की तुम्हे इस बात की आशंका है की में तुम्हारे विवाह में कोई विदधन डालने का षड्यंत्र करूँगा,
जैसा की
स्वं तुमने कितने ही विवाहों में किया बताया जाता रहा है
(सनद रहे की आप विवाह बिगाड़ने में माहिर है ,यहाँ यह भी बता देना आवश्यक है की आपने ने अपने कितने ही मित्रो को विवाह के दोरान घोडी से गिरा दिया था !)तो में तुम्हे इस बात के लिए आश्वस्त करना चाहूँगा! तुम्हे इस प्रकार के मलिनता के विचार अपने मन से निकल फेकने चाहिये !
मैं तुम्हारा ज्यादा समय न लेकर बस अंत में तुम्हे दुबारा तुम्हारे विवाह के लिए किए गए प्रयत्नों और अंत में मिली सफलता के लिए अपनी तरफ हार्दिक से शुभकामना देना चाहूँगा !
और अंत में भगवान से यही प्राथना करता हु की हमारी होने वाली भाभी जी कभी फ़ोन पर यह न सुनान्ना पड़े की -
"एक खाली पीपी म थोड़ा सो Petrol लेती हुई आए , म रास्ते में कड्यो हु ! तावाली सी आ दिखे तू " वो भी रात्रि की 11 बजे जैसे की मेरे एक मित्र को सदेव भय रहता था !
प्रतिलिपि निम्न को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है ---
श्री मान राधे श्याम जी खालिया ,
मित्र विशम्भर दयाल खालिया ,
परम हितेषी सखा देव बाबु ,
श्रीमती दादी (परिवर्तित नाम )
कुमारी
मालण, बिमला , सरबती ....
और समस्त पूर्व/वर्त्तमान(अंश कालीन /पूर्ण कालीन ) प्रेमिका गण
(स्थानाभाव के कारन सबका सबका उल्लेख सम्भव नही है ! )
तुम्हारा अपना
याडी-याडी बैलगाडी !