कई दिनों से ब्लॉग को टाइम नही दे पाया , शयद कुछ लिखने को नही मिला !
कल सुबह के पेपर मै अन्ध्राप्रेदेश के मुख्यमंत्री के बारे पढ़ कर दुख हुआ ! देश ने एक और जननेता खो दिया !
में ज्यादा तो उनके बारे में नही जनता परन्तु अख़बार की उस खबर ने अहसास दिला दिया जिसमे लिखा था की उनकी मौत के सदमे से आन्ध्र-प्रदेश विभ्भिन इलाको में 14 लोगो की मौत हो गई !
हलाकि अखबार ने इस मामूली ख़बर की ज्यादा तव्वजो ना दे कर बस इतने में ही समाप्त कर दिया !
कल एन.चन्द्रा निर्देशित मूवी "यह मेरा इंडिया " भी देखी ! फ़िल्म का नाम ही इसका सारांश है ! बस इतना ही कहूँगा की हर भारतीय को एक बार अवस्य इसे देखना चाहिए !
Thursday, September 3, 2009
Sunday, August 23, 2009
मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है
मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है,
कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है ।
क्या शर्त -ऐ -मोहब्बत है क्या शर्त -ऐ -ज़माना है,
आवाज़ भी ज़ख्मी है और गीत भी गाना है ।
उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है ,
कस्ती भी पूरानी है , तूफ़ान को भी आना है ।
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के ,
एक शख्स को आँखों से एक शेर सुनना है ।
भोली सी अदा , कोई फिर इश्क की जिद पर है ,
फ़िर आग का दरिया है और डूब कर जाना है ...
कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है ।
क्या शर्त -ऐ -मोहब्बत है क्या शर्त -ऐ -ज़माना है,
आवाज़ भी ज़ख्मी है और गीत भी गाना है ।
उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है ,
कस्ती भी पूरानी है , तूफ़ान को भी आना है ।
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के ,
एक शख्स को आँखों से एक शेर सुनना है ।
भोली सी अदा , कोई फिर इश्क की जिद पर है ,
फ़िर आग का दरिया है और डूब कर जाना है ...
Saturday, August 22, 2009
मित्र के विवाह के लिए शुभकामना !!!
प्रिये ओमी भईया,
जानकर अति प्रशांता हुई की आप की विवाह सम्बन्धी वार्ता (शायद अंतिम दौर ) चल रही है !
परन्तु खैद इस बात का है की यह शुभ समाचार आप से प्राप्त न हो-कर हमारे विश्स्वस्त सूत्रों ( देव नही ) से प्राप्त हुआ है ! वैसे में आपको बता दू की इस समाचार से मुझे अति -प्रसंता मिली है !
ख़ैर देर -सवेर तुम भी इस श्रेणी की सदस्य बनाने के प्रयास में जी-जान से जुटे जान पड़ते हो !
यहाँ यह उल्लेख करना जरुरी है की मित्र ने सभी प्रकार के जतन करने शुरू कर दिए है ! जैसे की सोमवार का व्रत (जिसे लड़कियां अच्छे वर के लिए करती है !) , मदिरा पान न करना , गाँव के सभी सामाजिक कार्यो में बिना आमंत्रण के भी सक्रिय भागीदारी , पुरानी संगती से दुरी बना लेना (जिनमे में मैं स्वयं भी शामिल हूँ !)
यह भी सुनाने में आया है की मित्र को इस बात का भी भ्रम हो गया है की - पूर्व में जीतनी भी विवाह वार्ता रद हुई उसका कारण यह इस 25 बरस पुरानी मित्र मंडली है !मित्र तुम्हे कैसे बताऊ यह आरोप कितना पीडादायक है !
ऐसा विचार मन में लाने से पूर्व क्या तुम्हे एक बार भी यह ख्याल नही आया की वो हम ही थे जिन्होंने रात-रात भर जाग कर तुम्हारे लिए matrimonial paper से विवाह प्रताव के लिए सूचियाँ तैयार करवाई थी ? तुम कैसे भूल सकते हो की इन्ही मित्रो ने दर्ज़नों matrimonial Sites पर तुम्हारा पंजीकरण करवाया था !
खैर,निरन्तर प्रयास की सफलता का मार्ग परास्त करता है !
कतिपेय इस बात का दुख हमेशा रहेगा की तुम अपने विवाह को लेकर कितने व्याकुल थे !
कृपया करके इस बात को को झुठला दो की तुमने विवाह के लिए घर वालो को Emotionally Black mail किया !
कह दो की यह झूठ है की रात्रि -कालीन भोजन से समय तुमने बाबु जी पास बैठे कर हौले से नही कहा की- "कुंवारा मरता लागिएँ "
हमारे ज़माने में विवाह संबंधो के प्रति इतनी व्याकुलता प्रकट करना अशोभनीय माना जाता था !
गोयाकि तुम नए युग के सूत्र धारक हो और यह सब करना तुम जैसे नव युग के युवको का अनाम फैशन बन गया है !,परन्तु तुम्हे भी इस बात का सदेव स्मरण रखना चाहिए की जहाज का पंछी चाहे कितनी लम्बी उडान
भर ले पर उसे लौट कर वापस से जहाज पर आना पड़ता है !
जान पड़ता है की तुम्हे इस बात की आशंका है की में तुम्हारे विवाह में कोई विदधन डालने का षड्यंत्र करूँगा,
जैसा की स्वं तुमने कितने ही विवाहों में किया बताया जाता रहा है
(सनद रहे की आप विवाह बिगाड़ने में माहिर है ,यहाँ यह भी बता देना आवश्यक है की आपने ने अपने कितने ही मित्रो को विवाह के दोरान घोडी से गिरा दिया था !)
तो में तुम्हे इस बात के लिए आश्वस्त करना चाहूँगा! तुम्हे इस प्रकार के मलिनता के विचार अपने मन से निकल फेकने चाहिये !
मैं तुम्हारा ज्यादा समय न लेकर बस अंत में तुम्हे दुबारा तुम्हारे विवाह के लिए किए गए प्रयत्नों और अंत में मिली सफलता के लिए अपनी तरफ हार्दिक से शुभकामना देना चाहूँगा !
और अंत में भगवान से यही प्राथना करता हु की हमारी होने वाली भाभी जी कभी फ़ोन पर यह न सुनान्ना पड़े की -
"एक खाली पीपी म थोड़ा सो Petrol लेती हुई आए , म रास्ते में कड्यो हु ! तावाली सी आ दिखे तू " वो भी रात्रि की 11 बजे जैसे की मेरे एक मित्र को सदेव भय रहता था !
प्रतिलिपि निम्न को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है ---
श्री मान राधे श्याम जी खालिया ,
मित्र विशम्भर दयाल खालिया ,
परम हितेषी सखा देव बाबु ,
श्रीमती दादी (परिवर्तित नाम )
कुमारी मालण, बिमला , सरबती ....
और समस्त पूर्व/वर्त्तमान(अंश कालीन /पूर्ण कालीन ) प्रेमिका गण
(स्थानाभाव के कारन सबका सबका उल्लेख सम्भव नही है ! )
तुम्हारा अपना
याडी-याडी बैलगाडी !
जानकर अति प्रशांता हुई की आप की विवाह सम्बन्धी वार्ता (शायद अंतिम दौर ) चल रही है !
परन्तु खैद इस बात का है की यह शुभ समाचार आप से प्राप्त न हो-कर हमारे विश्स्वस्त सूत्रों ( देव नही ) से प्राप्त हुआ है ! वैसे में आपको बता दू की इस समाचार से मुझे अति -प्रसंता मिली है !
ख़ैर देर -सवेर तुम भी इस श्रेणी की सदस्य बनाने के प्रयास में जी-जान से जुटे जान पड़ते हो !
यहाँ यह उल्लेख करना जरुरी है की मित्र ने सभी प्रकार के जतन करने शुरू कर दिए है ! जैसे की सोमवार का व्रत (जिसे लड़कियां अच्छे वर के लिए करती है !) , मदिरा पान न करना , गाँव के सभी सामाजिक कार्यो में बिना आमंत्रण के भी सक्रिय भागीदारी , पुरानी संगती से दुरी बना लेना (जिनमे में मैं स्वयं भी शामिल हूँ !)
यह भी सुनाने में आया है की मित्र को इस बात का भी भ्रम हो गया है की - पूर्व में जीतनी भी विवाह वार्ता रद हुई उसका कारण यह इस 25 बरस पुरानी मित्र मंडली है !मित्र तुम्हे कैसे बताऊ यह आरोप कितना पीडादायक है !
ऐसा विचार मन में लाने से पूर्व क्या तुम्हे एक बार भी यह ख्याल नही आया की वो हम ही थे जिन्होंने रात-रात भर जाग कर तुम्हारे लिए matrimonial paper से विवाह प्रताव के लिए सूचियाँ तैयार करवाई थी ? तुम कैसे भूल सकते हो की इन्ही मित्रो ने दर्ज़नों matrimonial Sites पर तुम्हारा पंजीकरण करवाया था !
खैर,निरन्तर प्रयास की सफलता का मार्ग परास्त करता है !
कतिपेय इस बात का दुख हमेशा रहेगा की तुम अपने विवाह को लेकर कितने व्याकुल थे !
कृपया करके इस बात को को झुठला दो की तुमने विवाह के लिए घर वालो को Emotionally Black mail किया !
कह दो की यह झूठ है की रात्रि -कालीन भोजन से समय तुमने बाबु जी पास बैठे कर हौले से नही कहा की- "कुंवारा मरता लागिएँ "
हमारे ज़माने में विवाह संबंधो के प्रति इतनी व्याकुलता प्रकट करना अशोभनीय माना जाता था !
गोयाकि तुम नए युग के सूत्र धारक हो और यह सब करना तुम जैसे नव युग के युवको का अनाम फैशन बन गया है !,परन्तु तुम्हे भी इस बात का सदेव स्मरण रखना चाहिए की जहाज का पंछी चाहे कितनी लम्बी उडान
भर ले पर उसे लौट कर वापस से जहाज पर आना पड़ता है !
जान पड़ता है की तुम्हे इस बात की आशंका है की में तुम्हारे विवाह में कोई विदधन डालने का षड्यंत्र करूँगा,
जैसा की स्वं तुमने कितने ही विवाहों में किया बताया जाता रहा है
(सनद रहे की आप विवाह बिगाड़ने में माहिर है ,यहाँ यह भी बता देना आवश्यक है की आपने ने अपने कितने ही मित्रो को विवाह के दोरान घोडी से गिरा दिया था !)
तो में तुम्हे इस बात के लिए आश्वस्त करना चाहूँगा! तुम्हे इस प्रकार के मलिनता के विचार अपने मन से निकल फेकने चाहिये !
मैं तुम्हारा ज्यादा समय न लेकर बस अंत में तुम्हे दुबारा तुम्हारे विवाह के लिए किए गए प्रयत्नों और अंत में मिली सफलता के लिए अपनी तरफ हार्दिक से शुभकामना देना चाहूँगा !
और अंत में भगवान से यही प्राथना करता हु की हमारी होने वाली भाभी जी कभी फ़ोन पर यह न सुनान्ना पड़े की -
"एक खाली पीपी म थोड़ा सो Petrol लेती हुई आए , म रास्ते में कड्यो हु ! तावाली सी आ दिखे तू " वो भी रात्रि की 11 बजे जैसे की मेरे एक मित्र को सदेव भय रहता था !
प्रतिलिपि निम्न को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है ---
श्री मान राधे श्याम जी खालिया ,
मित्र विशम्भर दयाल खालिया ,
परम हितेषी सखा देव बाबु ,
श्रीमती दादी (परिवर्तित नाम )
कुमारी मालण, बिमला , सरबती ....
और समस्त पूर्व/वर्त्तमान(अंश कालीन /पूर्ण कालीन ) प्रेमिका गण
(स्थानाभाव के कारन सबका सबका उल्लेख सम्भव नही है ! )
तुम्हारा अपना
याडी-याडी बैलगाडी !
Friday, August 21, 2009
बचपन
बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे ,तब तो सिर्फ़ खिलोने टुटा करते थे ....
वो खुशियाँ भी ना जाने कैसी खुशियाँ थी ,तितली को पकड़ कर उछाला करते थे ...
पाँव मारकर ख़ुद बारिस के पानी में ,अपनी आप को भिगोया करते थे ....
अब तो एक आंसूं भी रुसवा कर जाता है ,बचपन में दिल खोल कर रोया करते थे ।
वो खुशियाँ भी ना जाने कैसी खुशियाँ थी ,तितली को पकड़ कर उछाला करते थे ...
पाँव मारकर ख़ुद बारिस के पानी में ,अपनी आप को भिगोया करते थे ....
अब तो एक आंसूं भी रुसवा कर जाता है ,बचपन में दिल खोल कर रोया करते थे ।
Thursday, August 20, 2009
आभार
आज ब्लाग की जगत में मेरा यह दूसरा दिन है ! आज फ़िर वही पुरानी समस्या की पहले उन लोगो का आभार प्रकट करू जिन्होंने कल की कोशिश के लिए होसला अफजाई की या उन की बातें का अनुसरण करते हुए कुछ नया लिखू !
हितेंद्र जी ,समां जी और चंदन जी का तहे-दिल से शुक्रगुजार हु जिन्होंने अपनी अमूल्य टिप्पणियां और सुझाव
बताये ! समां जी मेने world verification हटा दिया , मुझे पता नही ये कैसे अपने आप ही लग गया था शयद ये default Settings में था ,ख़ैर अब आगे आपको टिपण्णी लिखने में बाधा नही होगी !
पता नही आप लोगो को कैसे पता चला की मने कुछ लिखा है ? ख़ैर ये सब बातें बाद में मालूम होती रहेंगी !
कल जब लिखने के बाद अपने ही ब्लाग को पढ़ा तो मालूम पडा की बहुत सारी शब्द त्रुटियां रह गई !
पर आज इन्हे ठीक करने का मन नही बन पा रहा ! क्योकि अभी बहुत सारे ब्लाग पढ़ने बाकि है !
लोग पता नही कहाँ कहाँ से क्या क्या लिख रहे है ! इतना टाइम कैसे दे पाते है ब्लाग लिखने को ?
राजीव जी जैन का ब्लाग पढ़ा मन को बड़ी प्रसंता मिली ! कितनी सादगी है इनके ब्लाग पर बस जीवन की खट्टे -मीठे पलो को ब्लॉग पर लिख डाला है !
बिना विषय के लिखना कितना दुस्कर कार्य है ये अब पता चल रहा है !
आशा करता हु की अगली दफा कहीं से कुछ जोड़ -तोड़ के लिखू !
विनोद शिवरायण
हितेंद्र जी ,समां जी और चंदन जी का तहे-दिल से शुक्रगुजार हु जिन्होंने अपनी अमूल्य टिप्पणियां और सुझाव
बताये ! समां जी मेने world verification हटा दिया , मुझे पता नही ये कैसे अपने आप ही लग गया था शयद ये default Settings में था ,ख़ैर अब आगे आपको टिपण्णी लिखने में बाधा नही होगी !
पता नही आप लोगो को कैसे पता चला की मने कुछ लिखा है ? ख़ैर ये सब बातें बाद में मालूम होती रहेंगी !
कल जब लिखने के बाद अपने ही ब्लाग को पढ़ा तो मालूम पडा की बहुत सारी शब्द त्रुटियां रह गई !
पर आज इन्हे ठीक करने का मन नही बन पा रहा ! क्योकि अभी बहुत सारे ब्लाग पढ़ने बाकि है !
लोग पता नही कहाँ कहाँ से क्या क्या लिख रहे है ! इतना टाइम कैसे दे पाते है ब्लाग लिखने को ?
राजीव जी जैन का ब्लाग पढ़ा मन को बड़ी प्रसंता मिली ! कितनी सादगी है इनके ब्लाग पर बस जीवन की खट्टे -मीठे पलो को ब्लॉग पर लिख डाला है !
बिना विषय के लिखना कितना दुस्कर कार्य है ये अब पता चल रहा है !
आशा करता हु की अगली दफा कहीं से कुछ जोड़ -तोड़ के लिखू !
विनोद शिवरायण
Tuesday, August 18, 2009
थोड़ा मेरे बारे में भी !
असल में हुआ ये की सारा दिन ऑफिस का काम करते-करते बोरियत होने लगी , सोचा थोड़ा रे-क्रेअशन ही कर लिया जाए ! अब मुल्ला जी की दौड़ सिर्फ़ मस्जिद तक और एक प्रोग्रामर की दौड़ गूगल भगवान के दर्शन तक !
यहीं सर्च करते करते कुछ ब्लाग पढने का सम्मान मिला ,बस यहीं से मुझे भी अपना ब्लाग बनने की सूझी बस फ़िर क्या था आना फानन में हमने भी ब्लाग बना ही डाला !
१० बरस बीत गए इस ब्लॉग महामारी को फैले हुए ! पर अभी तक हम इससे अछूते कैसे रह सकते है !
फ़िर सोचा की status symbol की ही खातिर कुछ लिखना चाहिये !(गाने -बेगाने किसी भी पार्टी में आप भी कह सकते है "मै तो एक अदद छोटा सा लेखक हु मै कहा आप के सामने कुछ हु !")
ब्लाग बना लिया और दिल को झूठी तसली देने के लिए लिखने का भी मानस बना लिया ! पर अब जिस समस्या से सामना हुआ उसे जितना छोटा समझा था यह उससे कुछ ज्यादा की विशाल थी !
समस्या यह थी की पहले तो जीवन मै कभी कुछ लिखा ही नही था ,और अब जो लिखने का मन बना ही लिया है तो कुछ लिखना भी पड़ेगा ही !
फ़िर कुछ सज्जनों के ब्लाग को याद किया जिन्हें मेने आज-कल में पढ़ कर ब्लाग बनाए की प्रेरणा ली थी !
पर कुछ समझ मे नही बैठा ,क्योकि सब प्रत्यक्ष-परोक्ष पत्रकारिता से जुड़े जान पड़े !
इस समस्या का भी समाधान भी नही हुआ था की दूसरी समस्या अपना विशाल मुख बाए खड़ी थी !
समस्या थी की अपनी मात्र(Only)-भाषा में कैसे लिखा जाए ! क्योकि हमने कुछ बरसो पहले अंग्रेजियत की गुलामी स्वीकार जो कर ली थी ! इसका एक फायेदा भी था -
एक तो आप अपना हिन्दी भाषा का अल्प-ज्ञान कहीं भी छुपा सकते थे !
खेर छोडिये इन सब बातो को अभी तक आपको हमारे हिन्दी भाषा की ज्ञान की गहराई मालूम हो चुकी होगी !
"हमाम मे सभी नंगे होते है " जैसा की मेरे एक परिचित अक्सर कहा करते थे ! का विचार मन मे ला कर हमने अपने ब्लाग लिखने के सपने को गति दी !
फ़िर मन में विचार आया की क्यो ना किस सज्जन की ब्लाग पर बे-सर पैर की टिपण्णी लिख दू (जैसा की आज कल चलन मे है !) जिससे अपने आप की कुछ लिखने के लिए मिल जाएगा !
पर फ़िर इस विचार को बल पूर्वक अपने मन से निकल फेका या ये कहे की इस बाण को बाद में फ़िर कभी प्रयोग के लिया सुरक्षित रख लिया !
फ़िर जब पेज को scroll करके ऊपर देखा तो लगा की काफी कुछ लिख लिया है ! सोचा महान लोग कम शब्दों मे ही अपनी बातें कहने को ही अच्छा मानते है !
इस लिए आज के लिए बस इतना ही !
विनोद शिवरायण
यहीं सर्च करते करते कुछ ब्लाग पढने का सम्मान मिला ,बस यहीं से मुझे भी अपना ब्लाग बनने की सूझी बस फ़िर क्या था आना फानन में हमने भी ब्लाग बना ही डाला !
१० बरस बीत गए इस ब्लॉग महामारी को फैले हुए ! पर अभी तक हम इससे अछूते कैसे रह सकते है !
फ़िर सोचा की status symbol की ही खातिर कुछ लिखना चाहिये !(गाने -बेगाने किसी भी पार्टी में आप भी कह सकते है "मै तो एक अदद छोटा सा लेखक हु मै कहा आप के सामने कुछ हु !")
ब्लाग बना लिया और दिल को झूठी तसली देने के लिए लिखने का भी मानस बना लिया ! पर अब जिस समस्या से सामना हुआ उसे जितना छोटा समझा था यह उससे कुछ ज्यादा की विशाल थी !
समस्या यह थी की पहले तो जीवन मै कभी कुछ लिखा ही नही था ,और अब जो लिखने का मन बना ही लिया है तो कुछ लिखना भी पड़ेगा ही !
फ़िर कुछ सज्जनों के ब्लाग को याद किया जिन्हें मेने आज-कल में पढ़ कर ब्लाग बनाए की प्रेरणा ली थी !
पर कुछ समझ मे नही बैठा ,क्योकि सब प्रत्यक्ष-परोक्ष पत्रकारिता से जुड़े जान पड़े !
इस समस्या का भी समाधान भी नही हुआ था की दूसरी समस्या अपना विशाल मुख बाए खड़ी थी !
समस्या थी की अपनी मात्र(Only)-भाषा में कैसे लिखा जाए ! क्योकि हमने कुछ बरसो पहले अंग्रेजियत की गुलामी स्वीकार जो कर ली थी ! इसका एक फायेदा भी था -
एक तो आप अपना हिन्दी भाषा का अल्प-ज्ञान कहीं भी छुपा सकते थे !
खेर छोडिये इन सब बातो को अभी तक आपको हमारे हिन्दी भाषा की ज्ञान की गहराई मालूम हो चुकी होगी !
"हमाम मे सभी नंगे होते है " जैसा की मेरे एक परिचित अक्सर कहा करते थे ! का विचार मन मे ला कर हमने अपने ब्लाग लिखने के सपने को गति दी !
फ़िर मन में विचार आया की क्यो ना किस सज्जन की ब्लाग पर बे-सर पैर की टिपण्णी लिख दू (जैसा की आज कल चलन मे है !) जिससे अपने आप की कुछ लिखने के लिए मिल जाएगा !
पर फ़िर इस विचार को बल पूर्वक अपने मन से निकल फेका या ये कहे की इस बाण को बाद में फ़िर कभी प्रयोग के लिया सुरक्षित रख लिया !
फ़िर जब पेज को scroll करके ऊपर देखा तो लगा की काफी कुछ लिख लिया है ! सोचा महान लोग कम शब्दों मे ही अपनी बातें कहने को ही अच्छा मानते है !
इस लिए आज के लिए बस इतना ही !
विनोद शिवरायण
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